झारखण्ड राज्य के प्रमुख क्रांतिकारियों का लिस्ट
झारखण्ड राज्य के प्रमुख क्रांतिकारियों का लिस्ट
नमस्कार दोस्तों तो कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज के इस article में मैं आपलोगों को झारखण्ड के प्रमुख क्रांतिकारियों के बारे में बताने वाला हु तो आप इस पोस्ट को शुरू से लेकर last तक जरुर पढ़िए और पसंद आये तो इसे अपने मित्रो के पास भी शेयर कीजियेगा चलिए जानते है झारखण्ड के कुछ प्रमुख क्रन्तिकारी के बारे में -
एल्बर्ट एक्का
एल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसम्बर 1942 को गुमला जिले की डुमरी तहसील के जरी गाव में हुआ था |इनके पिता का नाम जुलियस एक्का था | ये क्रिशिचयन समुदाय से थे |एल्बर्ट एक्का 1962 के भारत-चीन युद्ध में वीरता एवम साहस का परिचय दिया था , उन्होंने मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च सैन्य सम्मान ' परमवीर चक्र ' से सम्मानित किया गया | 1971 के भारत-पाक युद्ध के पहले दिन एल्बर्ट एक्का को त्रिपुरा में अखौरा के निकट गंगा सागर में पाकिस्तानी पोजीशन पर कब्ज़ा करने का कार्य मिला
सिद्धू -कान्हू
इनका पैतृक गाव भोगनाडीह था | इनके पिता का नाम चुभी मांझी था |सिद्धू-कान्हू अपने दो भाइयों चाँद एवम भैरव के साथ संथाल आन्दोलन में अंग्रजो के विरूद्ध लोहा लिया था | सिद्धू-कान्हू ने सभी मांझियों को संथाल हूल आन्दोलन करने के लिए तैयार रहने को कहा , बरहाइत की लड़ाई में दोनों शहीद हो गये , इनका आवाज था - अंग्रेजो , हमारा राज्य वापस करो |
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 में उलीहातू में हुआ था ,इनकी माता का नाम कर्मी हातू एवम पिता का नाम सुगना मुंडा था , इनके बड़े भाई का नाम कोमता मुंडा था | इनके जीवन का प्रारंभिक काल चाईबासा में व्यतीत हुआ था | बिरसा मुंडा को लोग भगवान बिरसा कहकर पुकारते थे | 'उल्गुलान विद्रोह' का नेतृत्व इन्होने ही किया था ,इन्होने जागीरदारों एवम अंग्रजो से मुक्ति के लिए आन्दोलन चलाया ,1895 में बिरसा को अंग्रेज सरकार द्वारा सडयंत्र रचने के आरोप में 2 वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया | 1895 में इन्होने अपने आप को सिंगबोंगा का दूत घोषित किया और एक नय पंत , विरसाइट पंत की शुरुआत की | 9 जून 1900 को हैजा रोग से इनकी मृत्यु हो गई |
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त 1817 को सतरंजी के नागवंशी कुल में इनका जन्म हुआ , 23 वर्ष की अवस्था में इन्होने जागीरदारी संभाली , इनका राजधानी सतरंजी में था लेकिन इन्होने वहां से हटाकर हटिया कर ली , इन्होने कर नहीं देने के कारण इन्होने अंग्रेजो से विद्रोह किया | रामगढ़ बटालियन को इन्होने हरा दिया | इन्होने हजारीबाग के विद्रोही सैनिको का नेतृत्व किया | चतरा की लड़ाई में अंग्रजो से हार गये और लोहरदग्गा के जंगलो में छिपना शुरू कर दिए और जंगलो में से ही इन्होने छापामार युद्ध चलाया |
पाण्डेय गणपत राय
पाण्डेय गणपत राय का जन्म 17 जनवरी, 1809 में हुआ था अंग्रजो के प्रिवी काउंसिल ने महाराज के विरुद्ध फैसला देकर एडम ह्रूम को छोटानागपुर का प्रशासक नियुक्त किया , जिसके कारण गणपत राय ने विद्रोह कर दिया |अंग्रेजों ने महाराज एवम गणपत राय को पकड कर 21 अप्रैल , 1858 ई.को शहीद चौक पर फासी दे डी |इन्होने हजारीबाग के विद्रोह सैनिको के साथ सेनापति की भूमिका निभाई तथा डोरंडा ,रांची व चतरा में विद्रोह की कमान संभाली
बुद्धू भगत
बुद्धू भगत कोल आन्दोलन के नायक थे |1828-33 के कोल विद्रोह का नेतृत्व इन्होने किया | ये छोटानागपुर के प्रथम क्रांतिकारी थे जिसपर 1000का इनाम था पकड़ने के लिए |14 फरवरी 1832 को ये शहीद हो गये |
टिकैत उमराव सिंह
इन्होने 1857 के विद्रोह में हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजों ने इन्हें रांची लाकर मोराबादी में टैगोर हिल के पास 8 जनवरी ,1858 को फंसी दे डी |
जतरा भगत
1914 में इन्होने ताना भगत आन्दोलन चलाया ,जिनमे महात्मा गाँधी का समर्थन था |1914 में इसे गिरफ्तार कर लिया गया था |
शिबू सोरेन
इन्होने 1970 में सोनोत संथाल समाज का गठन किया | 1973 में गठित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे इन्हें देशम गुरु तथा गुरूजी कहते है | ये झारखण्ड के तिन बार मुख्यमंत्री बन गये है | 1980 में निर्मल महतो के साथ मिलकर इन्होने आल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन का गठन किया |इनके द्वारा संचालित आन्दोलन के दबाव में आकर केंद्र सरकार द्वारा 1989 में झारखण्ड विषयक समिति का गठन किया गया |
भागीरथ मांझी
ये खरवार जनजाति के महान नेता थे संथाल हूल में भी ये भाग ले चुके थे |1874 में इन्होने अपने आप को रजा घोषित किया एवम सरकार को कर नहीं देने का ऐलान किया 1879 में इनकी मृत्यु हो गयी |इन्हें 'बाबाजी' के नाम से भी जाना जाता है |
वीर तेलंगा खड़िया
इन्होने 1850 में खड़िया आन्दोलन का नेतृत्व किया | 1831-32 कोल विद्रोह में भी भाग लिया था 1880 में बोधन सिंह ने गोली मारकर इनकी हत्या कर डी | इनके शव के दफनाये गये स्थान को 'तेलंगा तोपा टांडा ' कहा जाता है |
नमस्कार दोस्तों तो कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज के इस article में मैं आपलोगों को झारखण्ड के प्रमुख क्रांतिकारियों के बारे में बताने वाला हु तो आप इस पोस्ट को शुरू से लेकर last तक जरुर पढ़िए और पसंद आये तो इसे अपने मित्रो के पास भी शेयर कीजियेगा चलिए जानते है झारखण्ड के कुछ प्रमुख क्रन्तिकारी के बारे में -
एल्बर्ट एक्का
एल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसम्बर 1942 को गुमला जिले की डुमरी तहसील के जरी गाव में हुआ था |इनके पिता का नाम जुलियस एक्का था | ये क्रिशिचयन समुदाय से थे |एल्बर्ट एक्का 1962 के भारत-चीन युद्ध में वीरता एवम साहस का परिचय दिया था , उन्होंने मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च सैन्य सम्मान ' परमवीर चक्र ' से सम्मानित किया गया | 1971 के भारत-पाक युद्ध के पहले दिन एल्बर्ट एक्का को त्रिपुरा में अखौरा के निकट गंगा सागर में पाकिस्तानी पोजीशन पर कब्ज़ा करने का कार्य मिला
सिद्धू -कान्हू
इनका पैतृक गाव भोगनाडीह था | इनके पिता का नाम चुभी मांझी था |सिद्धू-कान्हू अपने दो भाइयों चाँद एवम भैरव के साथ संथाल आन्दोलन में अंग्रजो के विरूद्ध लोहा लिया था | सिद्धू-कान्हू ने सभी मांझियों को संथाल हूल आन्दोलन करने के लिए तैयार रहने को कहा , बरहाइत की लड़ाई में दोनों शहीद हो गये , इनका आवाज था - अंग्रेजो , हमारा राज्य वापस करो |
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 में उलीहातू में हुआ था ,इनकी माता का नाम कर्मी हातू एवम पिता का नाम सुगना मुंडा था , इनके बड़े भाई का नाम कोमता मुंडा था | इनके जीवन का प्रारंभिक काल चाईबासा में व्यतीत हुआ था | बिरसा मुंडा को लोग भगवान बिरसा कहकर पुकारते थे | 'उल्गुलान विद्रोह' का नेतृत्व इन्होने ही किया था ,इन्होने जागीरदारों एवम अंग्रजो से मुक्ति के लिए आन्दोलन चलाया ,1895 में बिरसा को अंग्रेज सरकार द्वारा सडयंत्र रचने के आरोप में 2 वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया | 1895 में इन्होने अपने आप को सिंगबोंगा का दूत घोषित किया और एक नय पंत , विरसाइट पंत की शुरुआत की | 9 जून 1900 को हैजा रोग से इनकी मृत्यु हो गई |
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त 1817 को सतरंजी के नागवंशी कुल में इनका जन्म हुआ , 23 वर्ष की अवस्था में इन्होने जागीरदारी संभाली , इनका राजधानी सतरंजी में था लेकिन इन्होने वहां से हटाकर हटिया कर ली , इन्होने कर नहीं देने के कारण इन्होने अंग्रेजो से विद्रोह किया | रामगढ़ बटालियन को इन्होने हरा दिया | इन्होने हजारीबाग के विद्रोही सैनिको का नेतृत्व किया | चतरा की लड़ाई में अंग्रजो से हार गये और लोहरदग्गा के जंगलो में छिपना शुरू कर दिए और जंगलो में से ही इन्होने छापामार युद्ध चलाया |
पाण्डेय गणपत राय
पाण्डेय गणपत राय का जन्म 17 जनवरी, 1809 में हुआ था अंग्रजो के प्रिवी काउंसिल ने महाराज के विरुद्ध फैसला देकर एडम ह्रूम को छोटानागपुर का प्रशासक नियुक्त किया , जिसके कारण गणपत राय ने विद्रोह कर दिया |अंग्रेजों ने महाराज एवम गणपत राय को पकड कर 21 अप्रैल , 1858 ई.को शहीद चौक पर फासी दे डी |इन्होने हजारीबाग के विद्रोह सैनिको के साथ सेनापति की भूमिका निभाई तथा डोरंडा ,रांची व चतरा में विद्रोह की कमान संभाली
बुद्धू भगत
बुद्धू भगत कोल आन्दोलन के नायक थे |1828-33 के कोल विद्रोह का नेतृत्व इन्होने किया | ये छोटानागपुर के प्रथम क्रांतिकारी थे जिसपर 1000का इनाम था पकड़ने के लिए |14 फरवरी 1832 को ये शहीद हो गये |
टिकैत उमराव सिंह
इन्होने 1857 के विद्रोह में हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजों ने इन्हें रांची लाकर मोराबादी में टैगोर हिल के पास 8 जनवरी ,1858 को फंसी दे डी |
जतरा भगत
1914 में इन्होने ताना भगत आन्दोलन चलाया ,जिनमे महात्मा गाँधी का समर्थन था |1914 में इसे गिरफ्तार कर लिया गया था |
शिबू सोरेन
इन्होने 1970 में सोनोत संथाल समाज का गठन किया | 1973 में गठित झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे इन्हें देशम गुरु तथा गुरूजी कहते है | ये झारखण्ड के तिन बार मुख्यमंत्री बन गये है | 1980 में निर्मल महतो के साथ मिलकर इन्होने आल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन का गठन किया |इनके द्वारा संचालित आन्दोलन के दबाव में आकर केंद्र सरकार द्वारा 1989 में झारखण्ड विषयक समिति का गठन किया गया |
भागीरथ मांझी
ये खरवार जनजाति के महान नेता थे संथाल हूल में भी ये भाग ले चुके थे |1874 में इन्होने अपने आप को रजा घोषित किया एवम सरकार को कर नहीं देने का ऐलान किया 1879 में इनकी मृत्यु हो गयी |इन्हें 'बाबाजी' के नाम से भी जाना जाता है |
वीर तेलंगा खड़िया
इन्होने 1850 में खड़िया आन्दोलन का नेतृत्व किया | 1831-32 कोल विद्रोह में भी भाग लिया था 1880 में बोधन सिंह ने गोली मारकर इनकी हत्या कर डी | इनके शव के दफनाये गये स्थान को 'तेलंगा तोपा टांडा ' कहा जाता है |
KOSHAL Kumar Ham Ek Garib Hain
ReplyDelete3751294380
ReplyDeletesubashtiwarytiwary@gmail.com
ReplyDelete